अल्मोड़ा के चनौदा में 1937 में महात्मा गांधी की प्रेरणा से स्थापित क्षेत्रीय गांधी आश्रम की स्थिति लगातार खस्ता होते जा रही है।
पिछले कुछ सालों से गांधी आश्रम लगातार घाटे में चल रहा है। आश्रम का घाटा बढ़कर 2.57 करोड़ पहुंच गया है। आश्रम में 109 लोग काम करते हैं। भवन और कारखाना जर्जर हालत में है। कई मशीनें टिन शेड में रखी गई हैं। राष्ट्रपिता की इस महान विरासत को बचाए रखने के लिए इस संस्था को सरकार से आर्थिक संजीवनी की जरूरत है।
महात्मा गांधी स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 1929 में कौसानी यात्रा पर आए थे। वह कुछ देर चनौदा में रुके। राष्ट्रपिता के साथ उनके सहयोगी और प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शांति लाल त्रिवेदी भी थे।
चनौदा में गांधीजी ने लोगों से विदेशी कपड़े त्यागकर स्वयं के बनाए वस्त्र पहनने का आह्वान किया था। लोगों को राष्ट्रपिता ने इस स्थान पर आश्रम बनाकर वस्त्र तैयार करने की प्रेरणा दी थी। महात्मा गांधी की प्रेरणा से ही शांति लाल त्रिवेदी ने 1937 में यहां आकर गांधी आश्रम की स्थापना की। ग्रामीणों ने गांधी आश्रम के लिए 30 नाली जमीन दान में दी।
पिछले कुछ सालों से गांधी आश्रम लगातार घाटे में चल रहा है। आश्रम का घाटा बढ़कर 2.57 करोड़ पहुंच गया है। आश्रम में 109 लोग काम करते हैं। भवन और कारखाना जर्जर हालत में है। कई मशीनें टिन शेड में रखी गई हैं। राष्ट्रपिता की इस महान विरासत को बचाए रखने के लिए इस संस्था को सरकार से आर्थिक संजीवनी की जरूरत है।
महात्मा गांधी स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 1929 में कौसानी यात्रा पर आए थे। वह कुछ देर चनौदा में रुके। राष्ट्रपिता के साथ उनके सहयोगी और प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शांति लाल त्रिवेदी भी थे।
चनौदा में गांधीजी ने लोगों से विदेशी कपड़े त्यागकर स्वयं के बनाए वस्त्र पहनने का आह्वान किया था। लोगों को राष्ट्रपिता ने इस स्थान पर आश्रम बनाकर वस्त्र तैयार करने की प्रेरणा दी थी। महात्मा गांधी की प्रेरणा से ही शांति लाल त्रिवेदी ने 1937 में यहां आकर गांधी आश्रम की स्थापना की। ग्रामीणों ने गांधी आश्रम के लिए 30 नाली जमीन दान में दी।